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Thursday, 21 April 2011

कलम उठी कविता लिखने

कलम उठी कविता लिखने को शीर्षक भरमार मिले
चाहत थी जिनको लिखने की वे आहात विमार मिले

 देश का यारों क्या होगा, जब अपनी खिचड़ी पकानी है
अन्ना जैसे गाँधी पर भी, जब बेजुबानी फब्त्ती करनी है 

आईने  को झुठलाने की आदत,  हमें छोड़नी होगी 
तबियत से आगे आकर, नयी पहल जब करनी होगी   

खादी और  आबादी को,   अब मिलकर हाथ बढ़ाना है
सपनो के भारत से अब तो  , भ्रस्ताचार मिटाना है

Saturday, 9 April 2011

इंडिया में युवा अन्ना गाँधी की जरुरत

इंडिया में युवा अन्ना  गाँधी की जरुरत

भारत से भ्रटाचार की कलंक कथा मिटने  को आन्ना जी ने जिस तरह की गाँधी गिरी किया उसे सलाम! देश भर में जो लहर चली उससे यह साबित हो गया की आम जनता अपने अधिकारों को लेकर सचेत है ! बस अगुआई करने की जरुरत है! अहिंसावादी तरीका काम आया !समाज का हर तबका इस जंग में सामिल हुआ और सरकार पर दबाव  बनाया  ! आन्ना के इस संघर्ष ने देश के लोगो को बता दिया है की दिल से लड़ी गई हर जंग पर जीत मिल सकती है ! अगर लड़ने का जज्बा हो ! इस आन्दोलन से यह तयं हो गया है की अहिंसा के रस्ते पर चल कर बड़ी जीत हासिल की जा सकती है ! दूसरे गाँधी ने देश की एक करोड़ लोगों को अहिंसा के मूल भावना से अवगत करा दिया है ! हमें इस पर विचार करना  होगा जब बिना खून खराबे से देश से भ्रष्टाचार  की कलंक कथा को मिटाया जा सकता है ! सरकार अन्ना और एक करोड़ बीस लाख भारतियों की बात मान सकती ! फिर इस अहिंसात्मक आन्दोलन से हम आतंकवाद और नक्सल जैसी दूसरी ज्जव्लंत समस्यों से किउ नहीं निपट सकते! हम सभी लोगों को राष्ट्र की इन समस्यों के निदान को संकल्प लेने की जरुरत है ! जिस तरह अन्ना ने सत्तर साल की उम्र में जोश के साथ जन लोकपाल  बिल लागू करवाने के लिए सर्कार को झुका दिया ठीक उसी तरह की पहल देश की अन्य समस्याओं के लिए जरूरत है!
प्रभुनाथ शुक्ल भदोही